मूलभूत विश्लेषण में इस बात का अध्ययन किया जाता है कि देश की अर्थव्यवस्था अपनी ही करेंसी दर कैसे प्रभावित करती है, जिसमें सांख्यिकीय रिपोर्टों और आर्थिक संकेतकों की व्याख्या मुख्य रूप से शामिल है। प्रतिदिन जारी होने वाले सैकड़ों आर्थिक समाचार और रिपोर्टें, कुछ हद तक, भविष्यवाणी करते हैं कि भविष्य में करेंसी मूल्य बढ़ेगा अथवा घटेगा या कब मौजूदा रुझान में उलटफेर होगी।
किसी विशेष रिपोर्ट या संकेतक के प्रकाशित होने के दिनांक और समय से पहले ही निर्धारित कार्यक्रम जारी किया जाता है, जिसे आर्थिक कैलेंडर में देखा जा सकता है। विश्लेषक, इसे मुख्य टूल के रूप में समाचार के प्रभाव को निर्धारित करने तथा डेटा अर्थशास्त्री, घोषित होने वाली नीतियों के पूर्वानुमान हेतु इसका उपयोग करते हैं।
सेंट्रल बैंक और ब्याज दरें
चूंकि सेंट्रल बैंक देश के वित्तीय मामलों से निपटने के लिए प्राय: जिम्मेदार होता है, इसलिए करेंसी दरों पर इसकी नीतियों का गहरा प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, मूल्य बढ़ाने के लिए यह करेंसी खरीद सकता है और रिजर्व के रूप में इसे होल्ड कर सकता है। दर में कमी लाने के लिए रिजर्व वापस बाजार में बेच दिए जाते हैं।
जब उपभोक्ता खर्च में वृद्धि अपेक्षित हो, तो केंद्रीय बैंक, वाणिज्यिक बैंकों को उपलब्ध करवाए जाने वाले ऋण पर ब्याज दर कम कर सकता है। यदि उसका उद्देश्य मुद्रास्फीति कम करना हो, तो खर्च कम करने के लिए ब्याज दरें बढ़ाई जाती हैं।
केंद्रीय बैंक द्वारा मुद्रास्फीति अथवा विकास पर अधिक ध्यान केंद्रित किए जाने के अनुरूप ही इसकी नीतियों को "हॉकिश"(hawkish) या "डॅविश(dovish)" के रूप में जाना जाता हैं। पहले से ब्याज दरें आमतौर पर बढ़ती हैं, जबकि दूसरा सामान्यतः दर्शाता है कि ब्याज दरें घटने वाली हैं।
मुद्रास्फीति
वस्तु और सेवा की कीमतों में कितनी तेजी से वृद्धि हो रही है, इसका मूल्यांकन मुद्रास्फीति से किया जाता है, जिसका सीधा प्रभाव करेंसी की आपूर्ति तथा मांग पर पड़ता है और इससे दर प्रभावित होती है। मुद्रास्फीति के प्रमुख संकेतक हैं:
- सकल घरेलू उत्पाद(जीडीपी)
सकल घरेलू उत्पाद(जीडीपी), समीक्षाधीन अवधि के दौरान उत्पादित सभी वस्तुओं और सर्विसेज का मूल्यांकन करता है। सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि, अर्थव्यवस्था के विकास का प्रतीक है, इसलिए मुद्रास्फीति का आंकलन करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।
प्रकाशित: एडवांस- प्रकाशित तिमाही समाप्ति के चार सप्ताह बाद; फाईनल - तिमाही समाप्ति के तीन माह बाद; समय: 15.30 EET (14.30 EEST)। - उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई)
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक(सीपीआई), वस्तु और सर्विसेज का निर्धारित बास्केट मूल्य सूचकांक के अनुरूप आंकलन करता है। पिछले परिणामों की तुलना में सीपीआई दर्शाता है कि उपभोक्ता क्रय शक्ति में किस तरह का बदलाव आया है और यह मुद्रास्फीति से कैसे प्रभावित था।
प्रकाशित: मासिक, लगभग मध्य-माह; समय: 15.30 EET (14.30 EEST)। - उत्पादक मूल्य सूचकांक(पीपीआई)
यह संकेतक, उत्पादकों को प्राप्त कीमतों में बदलाव दर्शाता है और यह मूल्यांकन करने में सहयोग देता है कि उपभोक्ता मूल्य स्तर कैसे प्रभावित हो सकता है।
प्रकाशित: माह के दूसरे या तीसरे सप्ताह; समय: 15.30 EET (14.30 EEST)।
रोजगार
रोजगार स्तर, करेंसी की दर को सीधे प्रभावित करता है, क्योंकि यह भविष्य और वर्तमान खर्च प्रभावित करता है। बेरोजगारी में वृद्धि, अर्थव्यवस्था की कमजोरी दर्शाता है, इस तरह माना जाता है कि उस करेंसी की मांग घट रही है। इसके विपरीत, रोजगार की संख्या में खासा वृद्धि, बढ़ती अर्थव्यवस्था की ओर संकेत
करती है, जिसका आम तौर पर मतलब है कि करेंसी की मांग में वृद्धि जारी रहेगी।
अलग लिखित अलग देशों से सबसे महत्वपूर्ण रोजगार रिपार्टें निम्न हैं:
- अमेरिका और कृषि पेरोल सरकार - गैर लाभ के संगठन और खेतिहर मजदूरों के अपवाद सहित रोजगार के रुझान का आकलन।
- अमेरिका बेरोजगारी बीमा संबंधी आरंभिक दावा - बेरोजगारी की नई संख्या से दावों को लाभ मिलता है, जिससे हाल में बेरोजगारों की संख्या का आंकलन किया जाता है।
- श्रमबल सर्वेक्षण - कनाडा में वर्तमान रोजगार दरों में बदलाव का आकलन करता है।
- मजदूरी मूल्य सूचकांक - ऑस्ट्रेलिया में मजदूरी में बदलाव को दर्शाता है।
- दावेदार गणना में बदलाव - ब्रिटेन में किसी समीक्षाधीन अवधि से अन्य अवधि में बेरोजगारी बीमा दावों में बदलाव का आंकलन करता है।
खुदरा बिक्री
चूंकि उपभोक्ता खर्च, अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा होता है, इसलिए यह संकेतक महत्वपूर्ण है। यह निश्चित अवधि के दौरान वस्तुओं और सर्विसज के भिन्न समूहों पर कुल खर्च राशि का आंकलन करता है। खुदरा बिक्री में वृद्धि से पता चलता है कि उपभोक्ता के पास खर्च करने के लिए अतिरिक्त आय है और उन्हें देश की अर्थव्यवस्था में विश्वास होता है।
प्रकाशित: लगभग मध्य माह में; समय: 15.30 EET (14.30 EEST)।
होम सेल्स
हाउसिंग का बढ़ता मार्केट, मजबूत अर्थव्यवस्था के प्रमुख संकेतकों में से एक है। मुख्य रूप से उपभोक्ता आत्मविश्वास और बंधक दरों पर आधारित होम सेल्स रिपोर्ट, आवास के लिए उपभोक्ताओं के बीच कुल मांग को दर्शाता है।
प्रकाशित: माह का चौथा सप्ताह; समय: 15.30 EET (14.30 EEST)।
थोक ट्रेड रिपोर्ट
थोक ट्रेड रिपोर्ट, मासिक आधार पर 4500 थोक ट्रेडरों के सर्वेक्षण पर आधारित होती है, जिसमें मासिक बिक्री, इनवेंटरी और इनवेंटरी से बिक्री अनुपात के आँकड़े शामिल हैं। यह आपूर्ति और मांग में असंतुलन इंगित करती है और इससे तिमाही जीडीपी रिपोर्ट की भविष्यवाणी करने में मदद मिलती है, हालांकि, मार्केट पर इसका कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ता।
प्रकाशित: माह की नवीं तारीखर अथवा उसके आसपास; समय: 17.00 EET (16.00 EEST)
भुगतान संतुलन (बीओपी)
भुगतान संतुलन, देश के निवासियों और अनिवासियों के बीच निश्चित समयावधि के लिए सभी लेनदेनों का सारांश है। सभी लेनदेन चालू खाते में उपविभाजित किए जाते हैं, जिसमें वस्तु, सेवा और आय एवं वित्तीय इन्स्ट्रूमेंट में लेनदेन सहित पूंजीगत अकाउंट शामिल हैं। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक नीति तैयार करने में ये आंकड़े महत्वपूर्ण होते हैं।
प्रकाशित: माह की 19वीं तारीख के आसपास; समय: 15.30 EET (14.30 EEST)
ट्रेड संतुलन
यह रिपोर्ट किसी देश के आयात और निर्यात के बीच अंतर दर्शाता है और भुगतान संतुलन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। व्यापार घाटे का मतलब है देश, निर्यात की तुलना में आयात अधिक करता है, जबकि व्यापार अधिशेष इसके विपरीत इंगित करता है। अधिशेष या गिरावट में घाटा, करेंसी की मांग में वृद्धि का प्राय: प्रतीक है।
प्रकाशित: माह की 19वीं तारीख के आसपास; समय: 15.30 EET (14.30 EEST)।
फॉरेक्स मार्केट की कार्य-प्रणाली के बारे में अधिक जानकारी इस लेख में यहां से ली जा सकती है।